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मंडला में रंगों का क्या मतलब है, यह समझने के लिए सबसे पहले ये जानना आवश्यक है कि मंडला आर्ट क्या है? मंडला एक प्रकार की प्राचीन कला है, जो स्वयं में सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक अर्थ संजोये हुए है। 

मंडला में रंगों का मतलब, व्यक्ति के रूप का प्रतिनिधित्व एवं आत्मा को प्रभावित करना है। इस कला में प्रयुक्त किये जाने वाले हर रंग का अपना विशिष्ट महत्त्व है।

मंडला कला का उपयोग शुरूआती दौर में आत्म-अभिव्यक्ति की प्रक्रिया के रूप में किया गया था, जिससे व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक परिवर्तन में मदद मिली। मंडला में रंगों का क्या मतलब है, विसतार से समझने के लिए ब्लॉग अंत तक पढ़ें।

मंडला में रंगों का क्या मतलब है?

मंडला में रंगों का क्या मतलब है – आइये विस्तार से जानें

इसमें कोई दोराय नहीं हैं कि प्रत्येक रंग स्वयं में अनन्य कहानियां समाहित करता है। जितना पुराना रंगों का इतिहास है, उतना ही गहरा इनका वास्तविक जीवन से जुड़ाव।

मानव उद्भव की आवश्यकताओं से लेकर वर्तमान व्यक्तिगत रुचियों तक रंगों का समावेश है। मंडला में रंगों का क्या मतलब है समझने के लिए समक्ष पहलुओं को विस्तार से जाने –

तांत्रिक बुद्धत्व में बनाई जाने वाली मंडला में रंगों का क्या मतलब है ?

बौद्ध संस्कृति में दृश्य छवियों का उपयोग बहुलता से किया जाता है क्योंकि ये विचारो की सबसे सरल अभिव्यक्ति होती हैं।

बौद्ध प्रबुद्धता के  लिए “शुद्ध प्रकाश” अथवा “इंद्रधनुषीय रंगों” के प्रवाह को दर्शाया जाता है, जो कि विस्तार का परिचायक है। 

तांत्रिक बौद्ध धर्म में पांच रंग मुख्य हैं, जो कि मूल रूप से तांत्रिक धर्मग्रंथों से जुड़ें हैं। जबकि छठा रंग काला खुद में सबकुछ समाहित करने की क्षमता रखता है।

सफेद  तांत्रिक बौद्ध विद्या में सफ़ेद रंग – शांति, विश्राम, एवं चिंतन का प्रतीक माना जाता है। यह व्यक्ति को जीवन की समस्याओं के प्रति सजग बनाता है। विपरीत परिस्तिथियों में सूझ-बूझ के साथ निर्णय लेने के लिए अभिप्रेरित करता है।
पीला तांत्रिक बौद्ध विद्या में पीला रंग – भोजन और संयम का प्रतीक माना जाता है। यह व्यक्ति के जीवन की प्राथमिकताओं को चुनने में सहायता करता है। 
लाल  तांत्रिक बौद्ध विद्या में लाल रंग प्रस्तुत का प्रतीक माना जाता है। यह व्यक्ति को संसार में स्वयं को प्रस्तुत करने की क्षमता प्रदान करता है
नीला  तांत्रिक बौद्ध विद्या में नीला रंग – चिकित्सा, ज्ञान और जीवन को दर्शाता है। यह व्यक्ति को संसार में प्रगति करना सिखाता है।
हरा  तांत्रिक बौद्ध विद्या में हरा रंग का मतलब है – भूत भगाना। जो व्यक्ति को बुराइयों को ख़ुद से दूर रखने में सहायता करता है।
काला  तांत्रिक बौद्ध विद्या में काला रंग – क्रोध एवं मृत्यु का प्रतीक है। यह व्यक्ति के जीवन की नकारात्मक यादों और कर्मों को दर्शाता है।

प्रथम पांच रंग बुद्ध भगवान के अवतारों को दर्शाने का साधन हैं। यह पांचों रंग “पंच बुद्ध परिवार” के प्रतीक हैं। 

“पंच बुद्ध परिवार” का संप्रत्यय दिमाग को उच्च चेतना स्तर तक पहुंचाने का रास्ता है। प्रत्येक अवतार निश्चित बौद्ध स्वरुप एवं उनकी विशेषताओं को दर्शाता है।

हर अवतार का स्वयं में विशिष्ट महत्व है, जो निश्चित परिवार से सम्बंधित है और निश्चित रंग में अपनाया गया है। सभी की विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है –      

तथागत परिवार (वैरोचन) – यह रूप बुद्ध परिवार के मुखिया हैं। इन्हें सफ़ेद और कभी-कभी नीले बुद्ध से प्रदर्शित किया जाता है। 

वज्र परिवार (अक्षोभ्य) –  यह वज्र परिवार के मुखिया है। इन्हें नीले और कभी-कभी सफ़ेद बुद्ध से प्रदर्शित किया जाता है। 

रत्न परिवार (रत्नसंभव)  – यह रत्न अथवा आभूषण परिवार के मुखिया है। इन्हें पीले बुद्ध द्वारा दर्शाया जाता है। 

कमल परिवार (अमिताभ) – यह पद्म अथवा कमल परिवार के मुखिया हैं। इन्हें लाल बुद्ध के रूप में जाना जाता है। 

कमल परिवार (अमोघसिद्धि) – यह कर्मा अथवा कार्य परिवार के मुखिया है। इन्हें हरे बुद्ध द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। 

तिब्बती बौद्ध धर्म की मंडला कला में रंगों का क्या मतलब है ?

तिब्बती बौद्ध धर्म में पांच रंगों को मुख्य माना गया, जिन्हें संस्कृत में “पंच-वर्ण” कहा जाता है। जिसका धार्मिक अर्थ है – पांच सुद्ध रौशनी (Five Pure Lights)।

तिब्बती मंडला को रेत से बनाया जाता है। जिसमें रंगों को सावधानीपूर्वक उपयोग किया जाता है। इस मंडला में उपयोग किये जाने वाले रंगों का अर्थ निम्नलिखित है –

सफेद रेत से बनी मंडला में सफ़ेद रंग विश्वास का प्रतीक होता है।
पीला  रेत से बनी मंडला में पीला रंग प्रयास का प्रतीक होता है।
लाल  रेत से बनी मंडला में लाल रंग स्मृति का प्रतीक होता है।
हरा रेत से बनी मंडला में हरा रंग ध्यान का प्रतीक होता है।
नीला  रेत से बनी मंडला में नीला रंग ज्ञान का प्रतीक होता है।

तिब्बती बौद्ध धर्म में मंडलियों का अत्यंत महत्त्व होता है। ये मंडलियां धार्मिक ग्रंथों पर आधारित होती हैं। जो सिखाती है कि निर्माण, लक्ष्य पर निर्भर करता है।

महाविरोचन सूत्र के अनुसार – मंडल बनाते समय केंद्र से बाहर की तरफ बढ़ते हुए एक निर्धारित मार्ग के अनुसार पांच रंगों का उपयोग किया जाना चाहिए।

सफेद तिब्बती बौद्ध धर्म में सफ़ेद रंग खुलेपन का प्रतीक माना जाता है। जो यह दर्शाता है कि व्यक्ति को अपने विचार क्षेत्र को विस्तारित रखना चाहिए।
लाल  तिब्बती बौद्ध धर्म में लाल रंग शक्ति अवं ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह व्यक्ति को अपने अंदर और बाहर की क्षमताओं विकसित करने के लिए अभिप्रेरित करता है।
पीला  तिब्बती बौद्ध धर्म में पीला रंग, विनम्रता का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति में समस्त संसार के प्रति भावनाये विकसित करने में सहायक होता है।
नीला  तिब्बती बौद्ध धर्म में नीला रंग – अनंत, पवित्रता और जीवन के प्रतीक के रूप में स्वीकारा गया है। जो कि व्यक्ति मूल का प्रतिनिधित्व करता है।
काला  तिब्बती बौद्ध धर्म में काला रंग अंधकार का प्रतीक है। जो कि मानव जीवन में दुःख और विपरीत परिस्तिथियों का परिचायक है।

अक्सर तिब्बती मंडलों में पाए जाने वाले अन्य रंगों में हरा और सुनहरा भी शामिल किया जाता हैं।

हरा तिब्बती बौद्ध धर्म में हरा रंग, मनुष्य एवं प्रकृति के बीच संतुलन का प्रतीक माना जाता है। जो कि मनुष्य के जीवन के लिए प्रकृति के महत्त्व को समझाता है।
सुनहरा तिब्बती बौद्ध धर्म में सुनहरा रंग, सूर्य और अग्नि का प्रतीक मन जाता है। जो कि व्यक्ति के जीवन में श्रम को दर्शाता है।  

मनोविज्ञान के अनुसार मंडला में रंगों का क्या मतलब है ?

20 वीं शताब्दी में, मनोविश्लेषक कार्ल जंग ने पहली बार अचेतन रोगी की अभिव्यक्ति के रूप में चिकित्सा में मंडल का उपयोग किया।

लाल मनोविज्ञान के अनुसार लाल रंग – क्रोध, वासना और जुनून का प्रतीक माना जाता है।
पीला  मनोविज्ञान के अनुसार पीला रंग – मन और बुद्धि को इंगित करता है।
बैंगनी  मनोविज्ञान के अनुसार बैंगनी रंग – रचनात्मक और कभी-कभी मादक प्रवृत्ति का संकेत देता है।

मंडला में रंगों का सामान्य अर्थ क्या है ?

लाल  सामान्य अर्थो में लाल रंग ताकत, ऊर्जा एवं जूनून का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति को उसकी अन्तर्शक्ति का आभास कराने में सहायक होता है। 
हरा सामान्य अर्थो में हरा रंग शारीरिक उपचार, मानसिक क्षमता, सम्बन्ध एवं प्रकृति के प्यार का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति को उसकी क्षमताओं का आभास कराने में सहायक होता है।
पीला  सामान्य अर्थो में पीला रंग हर्ष एवं ख़ुशी का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति को जीवन में असली प्रसन्नता का आभास कराने में सहायक होता है। 
नीला  सामान्य अर्थो में नीला रंग अन्तर्निहित शांति, ध्यान एवं स्वास्थ्यप्रद का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति को जीवन के प्रति शांत सकारात्मक रखने में सहायक होता है। 
गुलाबी सामान्य अर्थो में गुलाबी रंग नम्रता, प्रेम एवं स्रीत्व का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति को स्नेहशील बनाने में सहायक होता है। 
बैंगनी  सामान्य अर्थो में बैंगनी  रंग बोध एवं अंतर्दृष्टि का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति को कठिन समय में विवेक से कार्य कराने के लिए अभिप्रेरित करता है।
सफ़ेद  सामान्य अर्थो में सफ़ेद रंग पवित्रता, चेतना एवं सत्य का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति को वास्तविकता की सुंदरता को दर्शाता है।
काला  सामान्य अर्थो में काला रंग शक्ति, गहरे विचार एवं छाया कार्य का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति को जीवन की कड़वी सच्चाई से परिचित कराने में सहायक होता है। 

मुझे उम्मीद है कि इस ब्लॉग को पढ़कर आप अब स्पष्ट हो गए है कि मंडला में रंगों का क्या मतलब है। यदि आपके पास मंडला आर्ट से जुड़े अन्य प्रश्न हैं, तो नीचे टिप्पणी अनुभाग में आप ज़रूर पूछें।